Friday, 13 May 2011


माँगी है ..........

मेरे  वजूद  की  जांगीर  उसने  माँगी  है ..........
अजीब ख़्वाब कि ताबीर उसने माँगी है ..........
उसकी कैद मे रहता था मैं पहले भी ............
न जाने फ़िर् आज क्यो जन्जीर उसने माँगी है ...........
डर लगता है वो आज भी भूल सकती है हमे ..........
न जाने क्यो आज मेरी तस्वीर उसने माँगी है...........
ए  ख़ुदा हमे उसके नसीब मे तू लिख दे  ........
के आज हम से हमारी ही तख्दीर उसने माँगी है.............
...........................................................प्रशांत अवस्थी

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