मेरे वजूद की जांगीर उसने माँगी है ..........
अजीब ख़्वाब कि ताबीर उसने माँगी है ..........
उसकी कैद मे रहता था मैं पहले भी ............
न जाने फ़िर् आज क्यो जन्जीर उसने माँगी है . ...
डर लगता है वो आज भी भूल सकती है हमे ....
न जाने क्यो आज मेरी तस्वीर उसने माँगी है...
ए ख़ुदा हमे उसके नसीब मे तू लिख दे ........
के आज हम से हमारी ही तख्दीर उसने माँगी है....
**********************************प्रशांत अवस्थी
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